श्री हनुमान चालीसा अर्थ सहित!

क्या हमे चालीसा पढते समय पता भी होता है कि हम हनुमानजी से क्या कह रहे हैं या क्या मांग रहे हैं?

बस रटा रटाया बोलते जाते हैं। आनंद और फल शायद तभी मिलेगा जब हमें इसका मतलब भी पता हो।

तो लीजिए पेश है श्री हनुमान चालीसा अर्थ सहित!!

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श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारि।
बरनऊँ रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।
📯《अर्थ》→ गुरु महाराज के चरण.कमलों की धूलि से अपने मन रुपी दर्पण को पवित्र करके श्री रघुवीर के निर्मल यश का वर्णन करता हूँ, जो चारों फल धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला हे।★
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बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरो पवन कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार।★
📯《अर्थ》→ हे पवन कुमार! मैं आपको सुमिरन.करता हूँ। आप तो जानते ही हैं, कि मेरा शरीर और बुद्धि निर्बल है। मुझे शारीरिक बल, सदबुद्धि एवं ज्ञान दीजिए और मेरे दुःखों व दोषों का नाश कर दीजिए।★
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जय हनुमान ज्ञान गुण सागर, जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥1॥★
📯《अर्थ 》→ श्री हनुमान जी! आपकी जय हो। आपका ज्ञान और गुण अथाह है। हे कपीश्वर! आपकी जय हो! तीनों लोकों,स्वर्ग लोक, भूलोक और पाताल लोक में आपकी कीर्ति है।★
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राम दूत अतुलित बलधामा, अंजनी पुत्र पवन सुत नामा॥2॥★
📯《अर्थ》→ हे पवनसुत अंजनी नंदन! आपके समान दूसरा बलवान नही है।★
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महावीर विक्रम बजरंगी, कुमति निवार सुमति के संगी॥3॥★
📯《अर्थ》→ हे महावीर बजरंग बली! आप विशेष पराक्रम वाले है। आप खराब बुद्धि को दूर करते है, और अच्छी बुद्धि वालो के साथी, सहायक है।★
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कंचन बरन बिराज सुबेसा, कानन कुण्डल कुंचित केसा॥4॥★
📯《अर्थ》→ आप सुनहले रंग, सुन्दर वस्त्रों, कानों में कुण्डल और घुंघराले बालों से सुशोभित हैं।★
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हाथ ब्रज और ध्वजा विराजे, काँधे मूँज जनेऊ साजै॥5॥★
📯《अर्थ》→ आपके हाथ मे बज्र और ध्वजा है और कन्धे पर मूंज के जनेऊ की शोभा है।★
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शंकर सुवन केसरी नंदन, तेज प्रताप महा जग वंदन॥6॥★
📯《अर्थ 》→ हे शंकर के अवतार! हे केसरी नंदन! आपके पराक्रम और महान यश की संसार भर मे वन्दना होती है।★
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विद्यावान गुणी अति चातुर, राम काज करिबे को आतुर॥7॥★
📯《अर्थ 》→ आप प्रकान्ड विद्या निधान है, गुणवान और अत्यन्त कार्य कुशल होकर श्री राम काज करने के लिए आतुर रहते है।★
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प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया, राम लखन सीता मन बसिया॥8॥★
📯《अर्थ 》→ आप श्री राम चरित सुनने मे आनन्द रस लेते है। श्री राम, सीता और लखन आपके हृदय मे बसे रहते है।★
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सूक्ष्म रुप धरि सियहिं दिखावा, बिकट रुप धरि लंक जरावा॥9॥★
📯《अर्थ》→ आपने अपना बहुत छोटा रुप धारण करके सीता जी को दिखलाया और भयंकर रूप करके.लंका को जलाया।★
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भीम रुप धरि असुर संहारे, रामचन्द्र के काज संवारे॥10॥★
📯《अर्थ 》→ आपने विकराल रुप धारण करके.राक्षसों को मारा और श्री रामचन्द्र जी के उदेश्यों को सफल कराया।★
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लाय सजीवन लखन जियाये, श्री रघुवीर हरषि उर लाये॥11॥★
📯《अर्थ 》→ आपने संजीवनी बुटी लाकर लक्ष्मणजी को जिलाया जिससे श्री रघुवीर ने हर्षित होकर आपको हृदय से लगा लिया।★
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रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई, तुम मम प्रिय भरत सम भाई॥12॥★
📯《अर्थ 》→ श्री रामचन्द्र ने आपकी बहुत प्रशंसा की और कहा की तुम मेरे भरत जैसे प्यारे भाई हो।★
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सहस बदन तुम्हरो जस गावैं, अस कहि श्री पति कंठ लगावैं॥13॥★
📯《अर्थ 》→ श्री राम ने आपको यह कहकर हृदय से.लगा लिया की तुम्हारा यश हजार मुख से सराहनीय है।★
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सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा, नारद,सारद सहित अहीसा॥14॥★
📯《अर्थ》→श्री सनक, श्री सनातन, श्री सनन्दन, श्री सनत्कुमार आदि मुनि ब्रह्मा आदि देवता नारद जी, सरस्वती जी, शेषनाग जी सब आपका गुण गान करते है।★
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जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते, कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते॥15॥★
📯《अर्थ 》→ यमराज,कुबेर आदि सब दिशाओं के रक्षक, कवि विद्वान, पंडित या कोई भी आपके यश का पूर्णतः वर्णन नहीं कर सकते।★
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तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा, राम मिलाय राजपद दीन्हा॥16॥★
📯《अर्थ 》→ आपनें सुग्रीव जी को श्रीराम से मिलाकर उपकार किया, जिसके कारण वे राजा बने।★
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तुम्हरो मंत्र विभीषण माना, लंकेस्वर भए सब जग जाना ॥17॥★
📯《अर्थ 》→ आपके उपदेश का विभिषण जी ने पालन किया जिससे वे लंका के राजा बने, इसको सब संसार जानता है।★
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जुग सहस्त्र जोजन पर भानू, लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥18॥★
📯《अर्थ 》→ जो सूर्य इतने योजन दूरी पर है की उस पर पहुँचने के लिए हजार युग लगे। दो हजार योजन की दूरी पर स्थित सूर्य को आपने एक मीठा फल समझ कर निगल लिया।★
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प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहि, जलधि लांघि गये अचरज नाहीं॥19॥★
📯《अर्थ 》→ आपने श्री रामचन्द्र जी की अंगूठी मुँह मे रखकर समुद्र को लांघ लिया, इसमें कोई आश्चर्य नही है।★
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दुर्गम काज जगत के जेते, सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥20॥★
📯《अर्थ 》→ संसार मे जितने भी कठिन से कठिन काम हो, वो आपकी कृपा से सहज हो जाते है।★
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राम दुआरे तुम रखवारे, होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥21॥★
📯《अर्थ 》→ श्री रामचन्द्र जी के द्वार के आप.रखवाले है, जिसमे आपकी आज्ञा बिना किसी को प्रवेश नही मिलता अर्थात आपकी प्रसन्नता के बिना राम कृपा दुर्लभ है।★
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सब सुख लहै तुम्हारी सरना, तुम रक्षक काहू.को डरना॥22॥★
📯《अर्थ 》→ जो भी आपकी शरण मे आते है, उस सभी को आन्नद प्राप्त होता है, और जब आप रक्षक. है, तो फिर किसी का डर नही रहता।★
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आपन तेज सम्हारो आपै, तीनों लोक हाँक ते काँपै॥23॥★
📯《अर्थ. 》→ आपके सिवाय आपके वेग को कोई नही रोक सकता, आपकी गर्जना से तीनों लोक काँप जाते है।★
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भूत पिशाच निकट नहिं आवै, महावीर जब नाम सुनावै॥24॥★
📯《अर्थ 》→ जहाँ महावीर हनुमान जी का नाम सुनाया जाता है, वहाँ भूत, पिशाच पास भी नही फटक सकते।★
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नासै रोग हरै सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा॥25॥★
📯《अर्थ 》→ वीर हनुमान जी! आपका निरंतर जप करने से सब रोग चले जाते है,और सब पीड़ा मिट जाती है।★
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संकट तें हनुमान छुड़ावै, मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥26॥★
📯《अर्थ 》→ हे हनुमान जी! विचार करने मे, कर्म करने मे और बोलने मे, जिनका ध्यान आपमे रहता है, उनको सब संकटो से आप छुड़ाते है।★
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सब पर राम तपस्वी राजा, तिनके काज सकल तुम साजा॥ 27॥★
📯《अर्थ 》→ तपस्वी राजा श्री रामचन्द्र जी सबसे श्रेष्ठ है, उनके सब कार्यो को आपने सहज मे कर दिया।★
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और मनोरथ जो कोइ लावै, सोई अमित जीवन फल पावै॥28॥★
📯《अर्थ 》→ जिस पर आपकी कृपा हो, वह कोई भी अभिलाषा करे तो उसे ऐसा फल मिलता है जिसकी जीवन मे कोई सीमा नही होती।★
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चारों जुग परताप तुम्हारा, है परसिद्ध जगत उजियारा॥29॥★
📯《अर्थ 》→ चारो युगों सतयुग, त्रेता, द्वापर तथा कलियुग मे आपका यश फैला हुआ है, जगत मे आपकी कीर्ति सर्वत्र प्रकाशमान है।★
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साधु सन्त के तुम रखवारे, असुर निकंदन राम दुलारे॥30॥★
📯《अर्थ 》→ हे श्री राम के दुलारे ! आप.सज्जनों की रक्षा करते है और दुष्टों का नाश करते है।★
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अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता, अस बर दीन जानकी माता॥३१॥★
📯《अर्थ 》→ आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है, जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते है।★
1.) अणिमा → जिससे साधक किसी को दिखाई नही पड़ता और कठिन से कठिन पदार्थ मे प्रवेश कर.जाता है।★
2.) महिमा → जिसमे योगी अपने को बहुत बड़ा बना देता है।★
3.) गरिमा → जिससे साधक अपने को चाहे जितना भारी बना लेता है।★
4.) लघिमा → जिससे जितना चाहे उतना हल्का बन जाता है।★
5.) प्राप्ति → जिससे इच्छित पदार्थ की प्राप्ति होती है।★
6.) प्राकाम्य → जिससे इच्छा करने पर वह पृथ्वी मे समा सकता है, आकाश मे उड़ सकता है।★
7.) ईशित्व → जिससे सब पर शासन का सामर्थय हो जाता है।★
8.)वशित्व → जिससे दूसरो को वश मे किया जाता है।★
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राम रसायन तुम्हरे पासा, सदा रहो रघुपति के दासा॥32॥★
📯《अर्थ 》→ आप निरंतर श्री रघुनाथ जी की शरण मे रहते है, जिससे आपके पास बुढ़ापा और असाध्य रोगों के नाश के लिए राम नाम औषधि है।★
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तुम्हरे भजन राम को पावै, जनम जनम के दुख बिसरावै॥33॥★
📯《अर्थ 》→ आपका भजन करने से श्री राम.जी प्राप्त होते है, और जन्म जन्मांतर के दुःख दूर होते है।★
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अन्त काल रघुबर पुर जाई, जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई॥34॥★
📯《अर्थ 》→ अंत समय श्री रघुनाथ जी के धाम को जाते है और यदि फिर भी जन्म लेंगे तो भक्ति करेंगे और श्री राम भक्त कहलायेंगे।★
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और देवता चित न धरई, हनुमत सेई सर्व सुख करई॥35॥★
📯《अर्थ 》→ हे हनुमान जी! आपकी सेवा करने से सब प्रकार के सुख मिलते है, फिर अन्य किसी देवता की आवश्यकता नही रहती।★
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संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥36॥★
📯《अर्थ 》→ हे वीर हनुमान जी! जो आपका सुमिरन करता रहता है, उसके सब संकट कट जाते है और सब पीड़ा मिट जाती है।★
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जय जय जय हनुमान गोसाईं, कृपा करहु गुरु देव की नाई॥37॥★
📯《अर्थ 》→ हे स्वामी हनुमान जी! आपकी जय हो, जय हो, जय हो! आप मुझपर कृपालु श्री गुरु जी के समान कृपा कीजिए।★
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जो सत बार पाठ कर कोई, छुटहि बँदि महा सुख होई॥38॥★
📯《अर्थ 》→ जो कोई इस हनुमान चालीसा का सौ बार पाठ करेगा वह सब बन्धनों से छुट जायेगा और उसे परमानन्द मिलेगा।★
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जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा, होय सिद्धि साखी गौरीसा॥39॥★
📯《अर्थ 》→ भगवान शंकर ने यह हनुमान चालीसा लिखवाया, इसलिए वे साक्षी है कि जो इसे पढ़ेगा उसे निश्चय ही सफलता प्राप्त होगी।★
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तुलसीदास सदा हरि चेरा, कीजै नाथ हृदय मँह डेरा॥40॥★
📯《अर्थ 》→ हे नाथ हनुमान जी! तुलसीदास सदा ही श्री राम का दास है।इसलिए आप उसके हृदय मे निवास कीजिए।★
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पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रुप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥★
📯《अर्थ 》→ हे संकट मोचन पवन कुमार! आप आनन्द मंगलो के स्वरुप है। हे देवराज! आप श्री राम, सीता जी और लक्ष्मण सहित मेरे हृदय मे निवास कीजिए।★

🌹सीता राम दुत हनुमान जी को समर्पित🌹

विभागवार आरक्षण : वर्ग संघर्ष के इतिहास में वंचितों वर्गों पर एक और प्रहार !


  -एच.एल.दुसाध


7 जनवरी 2019 को मंत्रिमंडल में पारित प्रस्ताव को मोदी सरकार द्वारा संविधान की धज्जियां विखेरते हुए महज दो दिनों में लोकसभा एवं राज्यसभा में पास कराकर सवर्णों को आरक्षण दिलाने के बाद, जिस तरह सुप्रीम कोर्ट ने 22 जनवरी ,2019 को समग्र विश्विद्यालय को आरक्षण की इकाई मानने की जगह विभाग को इकाई मानने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्णय पर मुहर लगाई है, उससे हजारों साल से शक्ति के स्रोतों से वंचित विश्व की विपुलतम आबादी हतप्रभ है. हतप्रभ हो भी क्यों नहीं, क्योंकि विभागवार आरक्षण लागू होने के बाद हजारों साल से शिक्षालयों से बहिष्कृत दलित, आदिवासी और पिछड़ों का उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षक बनना एक सपना बन जायेगा. विपरीत इसके भारत के उच्च शिक्षा केंद्रों के शिक्षक पदों पर सवर्णों का एकाधिकार और पुष्ट हो जायेगा. कारण ,13 पॉइंट रोस्टर प्रणाली में किसी खास विषय के लिए निकलने वाले प्रथम तीन पद सामान्य के लिए और चौथा पद ओबीसी के लिए होगा. इसके बाद का पांचवां और छठा पद भी सामान्य वर्ग के लिए रहेगा तथा सातवां पद अनुसूचित जाति एवं 14 वां पद अनुसूचित जनजाति के कोटे में जायेगा. चूंकि एक विषय की सामान्यतया दो या तीन रिक्तियां ही निकलली हैं, इस हिसाब से आरक्षित वर्गों(एसटी/एससी और ओबीसी) के लिए कॉलेज/विश्वविद्यालयों में शिक्षक बनना सचमुच एक सपना बन जायेगा.

बहरहाल सिर्फ भारत के जन्मजात वंचित ही नहीं, दुनिया भर के विवेकवान लोग इस बात से हतप्रभ हैं कि जिस देश में भीषणतम असमानता से राष्ट्र की एकता और अखंडता पहले से ही खतरे के सम्मुखीन है, उस देश में सवर्ण आरक्षण के बमुश्किल दो सप्ताह बाद ही उच्च शिक्षा में सवर्णों के एकाधिकार को और मजबूत करने जैसा फैसला कैसे ले लिए गया! ऐसा फैसला लेते हुए क्यों यह भय नहीं हुआ कि इससे देश में विस्फोटक हालात पैदा हो सकते हैं.दरअसल ऐसा नहीं है कि इस देश का शासक वर्ग इन खतरों से अनजान है, किन्तु वह विस्फोटक स्थिति से भलीभांति अवगत होने के बावजूद ऐसे खतरे इसलिए उठा रहे है क्योंकि उसे पता है कि अपने वर्ग-शत्रुओं को नेस्तनाबूद करने लायक, उसे इससे बेहतर अवसर मिल ही नहीं सकते. इसलिए वह अपने स्व-वर्गीय हित में अँधा होकर ऐसे-ऐसे फैसले ले रहा है, जिसकी अन्यत्र कल्पना ही नहीं की जा सकती. इसे समझने के लिए एक बार फिर  महान समाज विज्ञानी कार्ल मार्क्स के नजरिये से मानव जाति के इतिहास का,जिसकी हम अनदेखी करने के अभ्यस्त रहे हैं, सिंहावलोकन कर लेना पड़ेगा. 

   मार्क्स ने कहा है ‘अब तक का विद्यमान समाजों का लिखित इतिहास वर्ग-संघर्ष का इतिहास है. एक वर्ग वह है जिसके पास उत्पादन के साधनों पर स्वामित्व है और दूसरा वह है, जो शारीरिक श्रम पर निर्भर है. पहला वर्ग सदैव ही दूसरे का शोषण करता रहा है. मार्क्स के अनुसार समाज के शोषक और शोषित : ये दो वर्ग सदा ही आपस में संघर्षरत रहे और इनमें  कभी भी समझौता नहीं हो सकता. मार्क्स के वर्ग-संघर्ष के इतिहास की यह व्याख्या मानव जाति के सम्पूर्ण इतिहास की निर्भूल व अकाट्य सचाई है, जिसकी भारत में बुरी तरह अनदेखी होती रही है, जोकि हमारी ऐतिहासिक भूल रही. ऐसा इसलिए कि विश्व इतिहास में वर्ग-संघर्ष का सर्वाधिक बलिष्ठ चरित्र हिन्दू धर्म का प्राणाधार उस वर्ण-व्यवस्था में क्रियाशील रहा है, जो मूलतः शक्ति के स्रोतों अर्थात उत्पादन के साधनों के बंटवारे की व्यवस्था रही है एवं जिसके द्वारा ही भारत समाज सदियों से परिचालित होता रहा है

. जी हाँ, वर्ण-व्यवस्था मूलतः संपदा-संसाधनों, मार्क्स की भाषा में कहा जाय तो उत्पादन के साधनों के बटवारे की व्यवस्था रही. चूँकि वर्ण-व्यवस्था में विविध वर्णों(सामाजिक समूहों) के पेशे/कर्म तय रहे तथा इन पेशे/कर्मों की विचलनशीलता धर्मशास्त्रों द्वारा पूरी तरह निषिद्ध रही, इसलिए वर्ण-व्यवस्था एक आरक्षण व्यवस्था का रूप ले ली,जिसे हिन्दू आरक्षण कहा जा सकता है. वर्ण-व्यवस्था के प्रवर्तकों द्वारा हिन्दू आरक्षण में शक्ति के समस्त स्रोत सुपरिकल्पित रूप से तीन अल्पजन विशेषाधिकारयुक्त तबकों के मध्य आरक्षित कर दिए गए. इस आरक्षण में बहुजनों के हिस्से में संपदा-संसाधन नहीं, मात्र तीन उच्च वर्णों की सेवा आई, वह भी पारिश्रमिक-रहित. वर्ण-व्यवस्था के इस आरक्षणवादी चरित्र के कारण दो वर्गों का निर्माण हुआ: एक विशेषाधिकारयुक्त व सुविधासंपन्न अल्पजन और दूसरा वंचित बहुजन.ऐसे में दावे के साथ कहा जा सकता है कि सदियों से भारत में वर्ग संघर्ष आरक्षण में क्रियाशील रहा है. हजारों साल से भारत के विशेषाधिकारयुक्त जन्मजात सुविधाभोगी और वंचित बहुजन समाज : दो वर्गों के मध्य आरक्षण पर जो अनवरत संघर्ष जारी रहा, उसमें 7 अगस्त, 1990 को मंडल की रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद एक नया मोड़ आ गया. इसके बाद शुरू हुआ आरक्षण पर संघर्ष का एक नया दौर. 

वर्ग संघर्ष का नया दौर शुरू होते ही आधुनिक भारतीय राजनीति में चाणक्य के नाम से मशहूर नरसिंह राव ने 24 जुलाई ,1991 को गृहित किया ट्रिकल डाउन थ्योरी पर केन्द्रित नवउदारवादी अर्थनीति. राव का मानना था, इससे विकास झरने की भांति ऊपर से नीचे आयेगा, जो शासको की कुत्सित नीति के चलते मुमकिन ही नहीं हो पाया. बहरहाल नवउदारवादी अर्थनीति को अपनाने के पीछे राव के दो हिडेन अजेंडा थे: पहला, आरक्षण को कागजों की शोभा बनाना और दूसरा परम्परागत विशेषाधिकारयुक्त सुविधाभोगी वर्ग के आर्थिक और शैक्षिणक वर्चस्व को और मजबूत करना . चूंकि कांग्रेस और भाजपा दोनों ही सवर्णवादी पार्टियां हैं और दोनों का ही वर्गीय हित एक है, इसलिए अपने वर्गीय हित में दोनों ही दलों के प्रधानमंत्रियों ने राव के बनाये ट्रैक का अनुसरण करने में होड़ लगाया, जिसमे सबको पीछे छोड़ गए वह मोदी, जिन्होंने महज दो दिनों में सवर्ण अरक्षण बिल पास कराने का चमत्कार घटित कर दिया. राव की नीतियों के कारण आज की तारीख में हिन्दू आरक्षण के सुविधाभोगी वर्ग का अर्थ-सत्ता, राज-सत्ता और धर्म-सत्ता  की भांति ज्ञान-सत्ता पर 90 प्रतिशत से ज्यादा कब्ज़ा हो चुका है.

 बहरहाल मॉडर्न चाणक्य ने वर्ग शत्रु के सफाए के लिए निजीकरण ,उदारीकरण, भूमंडलीकारण, विनिवेशीकरण का जो जाल बिछाया, उससे शिक्षा का क्षेत्र भी अछूता न रहा. उन्होंने सुपरिकल्पित रुप से निजीकरण को जो बढ़ावा दिया उससे देखते ही देखते कार्पोरेट घरानों और सवर्ण नेताओं को महंगे-महंगे स्कूल/कॉलेजों की श्रृंखला खड़ा करने का अवसर मिल गया. इनमें शिक्षा अत्यंत महंगी  होने के कारण बहुजन यहाँ स्वतः बहिष्कृत होते गए. गुणवत्ती-शिक्षा पर सवर्णों का एकाधिकार कायम करने के लिए एक ओर जहां राव ने निजी स्कूल/कॉलेजों को बढ़ावा दिया, वहीं जिन सरकारी स्कूलों में बहुजनों को शिक्षा सुलभ होती थी, उन्हें बदहाल बनाने की परिकल्पना की .इसके तहत उन्होंने 15 अगस्त,1995 को सरकारी प्राइमरी स्कूलों में मुफ्त भोजन मुहैया कराने का जो निर्णय लिया, वह बहुत मारक साबित  हुआ.बहरहाल गुणवत्ती शिक्षा पर सुविधाभोगी वर्ग का एकाधिकार कायम कराने का जो रास्ता राव ने तैयार किया, उसमें उनके बाद के प्रधानमंत्रियों ने कोई छेड़छाड़ नहीं की: यदि कुछ किया तो यही किया कि जिस गुणवत्ती शिक्षा से आज के प्रतिस्पर्धी युग में अवसरों का सद्व्यवहार किया जा सकता है, उससे बहुजन और दूर छिटकते गए.

 अब जहां तक शिक्षा का सवाल है, अन्यान्य क्षेत्रों की भांति इस क्षेत्र में भी सवर्णों का वर्चस्व स्थापित करने में प्रधानमंत्री मोदी अपने पूर्ववर्तियों को बौना दिए. 

ऐसा इसलिए कि मोदी जिस संघ से प्रशिक्षित होकर सर्वोच्च पद पर पहुंचे हैं, उस संघ और उसके राजनीतिक संगठन को हिन्दू धर्म और उन धर्मशास्त्रों में अपार आस्था रही जो, चीख-चीख कर कहते हैं कि शुद्रातिशूद्रों का जन्म सिर्फ तीन उच्च वर्णीय तबकों(सवर्णों) की निःशुल्क-सेवा के लिए हुआ है. शक्ति के स्रोतों (आर्थिक-राजनैतिक-धार्मिक-शैक्षिक) का भोग इनके लिए अधर्म है. अतः कभी जिन हिन्दू धर्म-शास्त्रों को मानवता-विरोधी मानते हुए डॉ. आंबेडकर ने डायनामाईट से उड़ाने का निदेश दिया था, उन धर्मशास्त्रों में अपार आस्था के कारण संघी मोदी के लिए आरक्षण का लाभ उठाने साक्षात् शत्रु थे. अतः आंबेडकरी रिजर्वेशन के सौजन्य से जिन जातियों के लोग आईएएस, आईपीएस,डॉक्टर,इंजीनियर, प्रोफ़ेसर बनकर हिन्दू धर्मशास्त्र-ईश्वर को भ्रान्त बना रहे थे, उन शत्रुओं को नेस्तनाबूद करने के लिए आंबेडकरी आरक्षण को व्यर्थ करने में अपने पूर्ववर्तियों की तुलना में अतिरिक्त तत्परता दिखलाया, जिससे शिक्षा जगत का आरक्षण भी नहीं सलामत रह पाया.

 मोदी-राज में ही उच्च शिक्षा में सवर्णों का वर्चस्व दृढतर करने के लिए संस्कृत, ज्योतिष, पौरोहित्य, योग इत्यादि जैसी प्रगतिविरोधी विद्यायों को थोपने का सबलतम प्रयास हुआ. इन्ही के राज में शैक्षणिक परिसरों में भेदभाव को इतना शिखर पर पहुँचाया गया कि बहुजन समाज के भूरि –भूरि रोहित वेमुला आत्म-हत्या करने से लेकर यूनिवर्सिटीयों से भागने के लिए विवश हुए. इन्ही के राज में वंचित वर्गों के विद्यार्थियों को राजीव गांधी फेलोशिप से महरूम करने का कुत्सित प्रयास किया गया. अपने वर्ग शत्रुओं को उच्च शिक्षा से दूर धकेलने के लिए मोदी ने पांच दर्जन से अधिक शीर्ष विश्वविद्यालयों को स्वायतत्ता प्रदान किया. अब उसी कड़ी में मोदी राज में विभागवार आरक्षण का निर्णय लेकर भारत के वर्ग संघर्ष के इतिहास में बहुजनों पर आजाद भारत का सबसे बड़ा प्रहार कर दिया गया है. 

इस प्रहार से बहुजन छात्र और गुरुजन उद्भ्रांत होकर इसे व्यर्थ करने के लिए किसी भी सीमा तक जाने का मन बनाते  दिख रहे हैं. वे कक्षाओं का बहिष्कार कर रहे हैं, वे जगह – जगह सभा-सेमीनार आयोजित कर इसका प्रतिवाद कर रहे हैं. 13 पॉइंट रोस्टर के खात्मे व आरक्षण की पूर्व स्थिति बहाल करने के लिए जिला मुख्यालयों से लेकर प्रदेश और देश की राजधानीं में व्यापक पैमाने पर धरना प्रदर्शन की बड़ी तयारी में जुट गए हैं. उनकी तैयारी को को देखते हुए 2016  का सर्द मौसम  याद आ रहा है,जब हैदराबाद विश्वविद्यालय के प्रतिभाशाली छात्र रोहित वेमुला की संस्थानिक हत्या के विरोध में उठी तरंगे विश्व विद्यालयों के कैम्पस और महानगरों को पार कर देश के छोटे-छोटे कस्बों तक फ़ैल गयी थीं. विभागवार आरक्षण  के खिलाफ बहुजन छात्र और गुरुजनों में इतना तीव्र आक्रोश है, कि उनके दबाव में आकर सामाजिक न्यायवादी विभिन्न दलों के नेता भी उनके साथ कंधे-कंधा मिलाकर सडकों पर उतरने के लिए बाध्य हो गए हैं.

मिथिला की बेटी प्रणाली का चुनाव अदाकारा सुष्मिता सेन के कार्यक्रम मे किया गया है।

मिथिला की बेटी प्रणाली का चुनाव अदाकारा  सुष्मिता सेन के कार्यक्रम मे किया गया है। जिसे आगे बढने के लिए आपके बहुमुल्य वोटो की आवश्यकता है। कृपया निचे दिये गए फ़ोटो के माध्यम से अपना बहुमुल्य वोट देकर मिथिला के सम्मान को बढ़ाएँ।



 


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Beginning of July 2018, severe floods affected the south Indian state of Kerala, due to unusually high rainfall during the monsoon season. It was the worst flooding in Kerala in nearly a century. Over 483 people died and mostly are missing.



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We provide 1-2 hours on-line training on daily basis or 4-5 hours on weekends or depend upon your convenience.

Our training focuses on transforming you into an SEO expert in Darbhanga. Our package also includes the feature of SEO online training, so now you no more have to seek for SEO online training in Darbhanga as you have got us!

http://seoppc.co/ 


The course includes:
  • Digital marketing
  • Basics of SEO
  • Webmaster tools (Google)
  • Keywords (analysis and research)
  • Google Analytics
  • SEO projects
  • On-page optimization
  • Off-page optimization
  • and much more…

Our online training modules are following:

Online SEO training Module - 20 Hrs.
Online PPC training Module - 10 Hrs.
Online internet marketing training Module - 10 Hrs.

We serve the best and unique on-line training program course. we have a tendency to trained more than 100 students in SEO and PPC and currently they're placed in high level companies and MNC's. some of the professional consultants are also trained by our experts. Our main motto is to make our students career in internet marketing industry with the best contribution in companies growth. we have a tendency to square measure providing on-line SEO training, Google Search Engine Optimisation Certification for SEO Course, SEO work. call us today for google seo certification.

So attend the best SEO classes in Darbhanga and join our institute. You will get to explore yourself in new terms by our courses.

Call us discuss your requirement: +91-9708567445
 
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